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Articles by डेव ब्रेनन

अगम्य धन

मंगल और बृहस्पति के बीच के ग्रहपथ में खरबों और खरबों डॉलर का एक क्षुद्रग्रह तेज़ी से गुज़रता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि १६ साइके(क्षुद्रग्रह) में सोना, लोहा, निकल और प्लैटिनम जैसी धातुएं हैं, जिनकी कीमत अथाह है। अभी के लिए, पृथ्वीवासी इस समृद्ध संसाधन का खनन करने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका मूल्यवान चट्टान की छानबीन करने के लिए एक जांच भेजने की योजना बना रहा है।

लेकिन उस धन की संभावना के बारे में क्या जो हमारी पहुँच के भीतर है? क्या हर कोई इसके लिए नहीं जाएगा? रोम की पहली सदी की कलीसिया को लिखते हुए, प्रेरित पौलुस ने प्राप्य धन के बारे में बात की—जो हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध में पाते हैं। उन्होंने लिखा, "ओह, परमेश्वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है!" (रोमियों ११:३३)।बाइबल विद्वान जेम्स डेनी  इस धन को इस तरह वर्णित करते है कि “प्रेम का अगम्य धन जो परमेश्वर को सक्षम करता है . . . दुनिया की [बड़ी ज़रूरतों] को पूरा करने से भी कहीं अधिक।”

क्या हमें इसकी आवश्यकता नहीं है - कुछ दूर के क्षुद्रग्रह से सोने की डली से भी ज्यादा? पवित्र आत्मा की सहायता द्वारा हम परमेश्वर के ज्ञान और बुद्धि के धन को प्राप्त कर सकते हैं जो पवित्रशास्त्र में मिलते है । परमेश्वर हमें इस धन को खोदने और उसे और अधिक जानने और संजोने के लिए अगुवाई करे।

धूप के पोखर (छोटे तालाब)

गर्मी का दिन था और मेरी चार साल की पोती रितु और मैं गेंद खेलने से ब्रेक ले रहे थे। जैसे ही हम पानी का गिलास लेकर पोर्च में बैठे, रितु ने बाहर आँगन की ओर देखा और कहा, “धूप के पोखरों को देखो”। सूरज की रोशनी घने पत्तों से छनकर अंधेरी छाया में एक आकार बना रही थी। धूप के पोखर। यह अंधकारमय दिनों में आशा पाने के लिए क्या यह एक सुंदर छवि नहीं है? अक्सर चुनौतीपूर्ण समय के बीच में– जब अच्छी खबर कम लगती है– छाया (अंधेरे) पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हम प्रकाश पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

ज्योति का एक नाम है—यीशु। मत्ती ने यशायाह को उस चमक का वर्णन करने के लिए उद्धृत किया जो यीशु के आने पर दुनिया में आई थी — “अन्धकार में रहनेवालों ने एक बड़ी ज्योति देखी है मृत्यु की छाया के देश में रहनेवालों पर ज्योति चमकी” (मत्ती 4:16;यशायाह 9:2 भी देखें)। जब हम मृत्यु की छाया की भूमि में रहते हैं तो पाप के प्रभाव हमारे चारों ओर होते हैं। परन्तु उस छाया में चमकते हुए यीशु हैं, जो संसार की भव्य और महिमामय ज्योति हैं (यूहन्ना 1: 4–5)।

यीशु के प्रेम और करुणा की धूप छाया को तोड़ती है, और हमें धूप के पोखर देती है हमारे दिन को रोशन करने और आशा के साथ हमारे दिलों को रोशन करने के लिए ।

 

पाप से दूर भागो

इस गर्मी में दो बार मुझे गाजर घास का प्रकोप झेलना पड़ा, दोनों बार ऐसा हुआ, मैं अपने यार्ड से अवांछित पौधों की वृद्धि को दूर करने का काम कर रहा था। और दोनों बार, मैंने पास में दुबके हुए, गन्दे, सफेद फूल वाले, दुश्‍मन को देखा। मुझे लगा कि इसके बिना मुझे प्रभावित किए मैं इसके करीब जा सकता हूं। जल्द ही, मुझे एहसास हुआ कि मैं गलत था। अपनी छोटी हरी बर्बादी के करीब जाने के बजाय, मुझे दूसरी तरफ दौड़ना चाहिए था!

पुराने नियम की कहानी में, हम देखते हैं जब युसुफ किस प्रकार जहरीली आईवी (वृक्ष लता) से भी बदतर चीज़ अर्थात पाप से किस प्रकार दूर भागा था। वह मिस्र के अधिकारी पोतीपर के घर में रह रहा था, जिसकी पत्नी ने उसे बहकाने की कोशिश की, यूसुफ ने उसके करीब जाने की कोशिश नहीं की - वह भाग गया।

हालाँकि उसने उस पर झूठा आरोप लगाया और उसे जेल में डाल दिया, पूरे प्रकरण में युसुफ शुद्ध रहा। और जैसा कि हम उत्पत्ति 39:21 में देखते हैं, "यहोवा उसके साथ था।"

परमेश्वर हमें उन गतिविधियों और परिस्थितियों से भागने में मदद कर सकता है जो हमें उससे दूर ले जा सकती हैं — जब पाप निकट हो तो दूसरे रास्ते पर चलने के लिए हमारा मार्गदर्शन करता है। 2 तीमुथियुस 2:22 में, पौलुस लिखता है, "बुरी अभिलाषाओं से दूर भागो।" और 1 कुरिन्थियों 6:18 में वह कहता है कि "व्यभिचार से दूर भागो।"

परमेश्वर की शक्ति में, हम उन चीजों से भागना चुने जो हमें नुकसान पहुंचा सकती हैं।

सूर्यमुखी की लड़ाई

हमारे पड़ोस की गायें (मेरे दोस्त)और मेरी,  फूलों के पौधों के बारे में दो अलग–अलग राय है। जब मैं हर गर्मियों में फूलों के पौधे लगाता हूँ, मैं उनके खिलने की सुंदरता की प्रतीक्षा करता हूं। मेरे गाय मित्र, हालांकि तैयार उत्पाद की परवाह नहीं करते हैं, वे केवल तनों और पत्तियों को तब तक चबाना चाहते हैं जब तक कि कुछ न बचे। यह एक वार्षिक ग्रीष्मकालीन युद्ध है, क्योंकि इससे पहले कि मेरे चार खुर वाले पड़ोसी उन फूलों को खा लें, मैं उन फूलों को उनकी सम्पूर्णता तक देखना चाहता हूं । कभी–कभी मैं जीत जाता हूं, कभी–कभी वे जीत जाते हैं।

जब हम यीशु में विश्वासियों के रूप में अपने जीवन के बारे में सोचते हैं, तो हमारे और हमारे शत्रु शैतान के बीच इसी तरह की लड़ाई को देखना आसान हो जाता है। हमारा लक्ष्य निरंतर विकास है जो आध्यात्मिक परिपक्वता की ओर ले जाता है जो हमारे जीवन को परमेश्वर के सम्मान के लिए खड़ा करने में मदद करता है। शैतान हमारे विश्वास को निगल जाना चाहता है और हमें बढ़ने से रोकना चाहता है। परन्तु यीशु का “हर एक सामर्थ” पर प्रभुत्व है और वह हमें “पूर्णता” तक पहुंचा सकता है (कुलुस्सियों 2:10) जिसका अर्थ है कि वह हमें पूर्ण बनाता है। क्रूस पर मसीह की जीत हमें उन खूबसूरत फूलों की तरह दुनिया में सबसे अलग दिखाई देने की अनुमति देती है।

जब यीशु ने “हमारे खिलाफ आरोपों का रिकॉर्ड” (मारे पापों के लिए दंड)को सूली पर चढ़ा दिया (पद 14) तो उसने हमें नियंत्रित करने वाली शक्तियों को नष्ट कर दिया। हम उसमें जड़ पकड़ते गये और दृढ़ होते गये (पद 7) और मसीह के साथ जीवित हुये (पद 13)। उसमें हमारे पास शत्रु के आत्मिक आक्रमणों का विरोध करने और यीशु में फलने–फूलने की शक्ति (पद 10) है—सच्ची सुंदरता का जीवन प्रदर्शित करना।

 

अन्य सात और

जनवरी 2020 में लॉस एंजिल्स के पास त्रासदी हुई जब एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में नौ लोगों की मौत हो गई। अधिकांश समाचार कुछ इस तरह से शुरू हुए, "बास्केटबॉल सुपरस्टार कोबे ब्रायंट, उनकी बेटी जियाना ("गीगी"), और सात अन्य लोगों ने दुर्घटना में अपनी जान गंवा दी।"

इस तरह की भयानक स्थिति में शामिल जाने-माने लोगों पर ध्यान केंद्रित करना स्वाभाविक और समझ में आता है─और कोबे और उनकी अनमोल बेटी गीगी की मौत विवरण से परे दिल तोड़ने वाली है। लेकिन हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जीवन की बड़ी तस्वीर में कोई विभाजन रेखा नहीं है जो "सात अन्य" (पायटन, सारा, क्रिस्टीना, एलिसा, जॉन, केरी और आरा) को कम महत्वपूर्ण बनाती है।

कभी-कभी हमें यह याद दिलाने की आवश्यकता होती है कि प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में महत्वपूर्ण है। समाज अमीरों और मशहूरों पर तेज रोशनी बिखेरता है। फिर भी प्रसिद्धि किसी व्यक्ति को आपके सबसे निकट पड़ोसी, शोरगुल वाले बच्चे जो आपकी गली में खेलते हैं, शहर के मिशन पर व्यक्ति, या आप से अधिक महत्वपूर्ण नहीं बनाती हैं। 

पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्ति परमेश्वर के स्वरूप में बनाया गया है (उत्पत्ति 1:27), चाहे वह अमीर हो या गरीब (नीतिवचन 22:2)। उसकी दृष्टि में किसी पर दूसरे से अधिक अनुग्रह नहीं होता (रोमियों 2:11), और प्रत्येक को एक उद्धारकर्ता की आवश्यकता है (3:23)।

हम अपने महान परमेश्वर की महिमा तब करते हैं जब हम पक्षपात दिखाने से इन्कार करते हैं—चाहे कलीसिया में (याकूब 2:1-4) या बड़े पैमाने पर समाज में।

धुला हुआ

हरीश  ने अपने परिचित देव को "बहुत लंबे समय से प्रभु से बहुत दूर" के रूप में वर्णित किया। लेकिन एक दिन, जब हरीश ने देव से मुलाकात की और उसे समझाया कि कैसे परमेश्वर के प्रेम ने हमें बचाने का मार्ग प्रदान किया है, देव यीशु में विश्वास करने वाला बन गया। आँसुओं के द्वारा, उसने अपने पाप से पश्चाताप किया और अपना जीवन मसीह को दे दिया। बाद में हरीश ने देव से पूछा कि उसे कैसा लगा। आँसू पोछते हुए उसने सरलता से उत्तर दिया, "धुला हुआ।"

कितनी अद्भुत प्रतिक्रिया है! ठीक यही उद्धार का सार है जो क्रूस पर हमारे लिए यीशु के बलिदान में विश्वास के द्वारा संभव हुआ है। 1 कुरिन्थियों 6 में, जब पौलुस उदाहरण देता है कि कैसे परमेश्वर के विरुद्ध अवज्ञा करने से वह उससे अलग हो जाता है, तो वह कहता है, "तुम में से कितने ऐसे थे।परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए, और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे" (पद 11)। "धुला हुआ," "शुद्ध किया हुआ," "धर्मी" - ऐसे शब्द जो विश्वासियों को क्षमा किए जाने और उसके साथ सही किए जाने की ओर इशारा करते हैं।

तीतुस 3:4-5 हमें इस चमत्कारी चीज़ के बारे में अधिक बताता है जिसे उद्धार कहा जाता है। "हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की कृपा . . . प्रगट [हुयी], तो उसने हमारा उद्धार किया; और यह धर्म के कामों के कारण नहीं, जो हम ने आप किए, पर अपनी दया के अनुसार नए जन्म के स्नान . . . द्वारा हुआ l" हमारा पाप हमें परमेश्वर से दूर रखता है, परन्तु यीशु में विश्वास करने से पाप का दंड धुल जाता है। हम नई सृष्टि बन जाते हैं (2 कुरिन्थियों 5:17), अपने स्वर्गीय पिता तक पहुंच प्राप्त करते हैं (इफिसियों 2:18), और शुद्ध किए जाते हैं (1 यूहन्ना 1:7)। वह अकेला वह प्रदान करता है जिससे हमें धोये जाने की आवश्यकता होती है।

परमेश्वर की अद्भुत सृष्टि

एक साधारण ग्रीष्मकालीन प्रकृति की सैर के रूप में जो कुछ शुरू हुआ वह हम दोनों पति-पत्नी के लिए कुछ विशेष बन गया जब हम अपने गृह नगर की नदी के किनारे लम्बी दूरी तक पैदल चले । हमने छोटी-छोटी लहरों में एक लम्बे लट्ठे पर कुछ परिचित “मित्र” देखे──पांच या छः  बड़े कछुए जो धूप सेंक रहे थे । हम दोनों इन रेंगनेवाले जंतुओं के अद्भुत दृश्य देखकर मुस्कुराए, जिन्हें हम कई महीनों से नहीं देखे थे । हम खुश थे कि हम लौटे थे, और हम परमेश्वर की भव्य सृष्टि में आनंद के एक क्षण का उत्सव मना पाए । 

परमेश्वर ने अय्यूब को एक बढ़िया प्रकृति सैर पर ले गया (अय्यूब 38 देखें । उस परेशान व्यक्ति को अपनी स्थिति के सम्बन्ध में परमेश्वर से एक उत्तर चाहिए था (पद.1) । और उसने परमेश्वर की सृष्टि के द्वारा उसके साथ अपनी यात्रा पर जो कुछ देखा उससे उसकी ज़रूरत के अनुसार प्रोत्साहन मिल गया । 

अय्यूब के आश्चर्य की कल्पना कीजिये जब परमेश्वर ने उसे अपने संसार की शानदार अभिकल्पना की याद दिलायी । अय्यूब को प्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक संसार का विवरण मिला : “उसकी नींव कौन सी वस्तु पर रखी गयी──जब कि भोर के तारे एक संग आनंद से गाते थे और परमेश्वर के सब पुत्र जयजयकार करते थे?” उसे परमेश्वर द्वारा समुद्रों की सीमाएँ निर्धारित करने के बारे में एक भूगोल पाठ मिला (पद.11) । 

सृष्टिकर्ता ने अय्यूब को निरंतर उसके द्वारा बनाया गया प्रकाश, हिम जो वह बनाता है, और वह वर्षा जिसका प्रबंध वह चीजों के उगने और बढ़ने के लिए करता है की सूचना दी (पद.19-28) । अय्यूब ने नक्षत्रों के विषय भी सुना जिसने उन्हें अन्तरिक्ष में छितराया था (पद.31-32) । 

अंततः, अय्यूब ने प्रत्युत्तर दिया, “मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है” (42:2) । जब हम प्राकृतिक संसार का अनुभव करते हैं हम अपने बुद्धिमान और अद्भुत सृष्टिकर्ता के आदर में खड़े हों । 

वर्तमान लड़ाई

जब आप बिजली के अपने उपकरणों को प्लग करते हैं, तो आपको गत उन्नीसवीं शताब्दी के एक कड़वे लड़ाई के परिणाम से लाभ होता है l उस समय, आविष्कारक थॉमस एडिसन और निकोला टेस्ला ने संघर्ष किया कि विकास के लिए किस प्रकार की बिजली सर्वोत्तम थी : एकदिश धारा/डायरेक्ट करंट(DC), उस तरह का करंट जो एक बैटरी से एक टोर्च में जाती है; या प्रत्यावर्ती धारा/अल्टरनेटिव करंट(AC), जो हमें एक बिजली आउटलेट से मिलती है l 

आखिरकार, टेस्ला का AC विचार प्रभावी हुआ और घरों, व्यवसायों, और संसार में चारों ओर बिजली देने के लिए उपयोग होता आया है l AC लम्बी दूरी तक बिजली संचारित करने में अधिक सफल है और एक बुद्धिमान चुनाव साबित हुआ l 

कभी-कभी हमें बुद्धि की ज़रूरत होती है जब हम यीशु में विश्वासियों के बीच चिंता के मुद्दों का सामना करते हैं (रोमियों 14:1-12 देखें) l प्रेरित पौलुस ने हमें ऐसे मामलों में स्पष्टता के लिए ईश्वर की मदद लेने का आह्वान किया l उसने कहा, “यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा” (फिलिप्पियों 3:15) l कुछ पदों के बाद, हम दो लोगों के परिणाम को देखते हैं जिन्होंने एक मतान्तर द्वारा अपने बीच फूट पड़ने दिया──एक झगड़ा जिसने पौलुस को दुखित किया : “मैं यूओदिया को भी समझाता हूँ और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें” (4:2) l 

जब भी कोई अंतर हमें अलग करना शुरू करता है, हम पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का अनुग्रह और बुद्धि, परिपक्व विश्वासियों की सलाह, और प्रार्थना की सामर्थ्य को खोजें l आइये हम उसमें “एक मन [रहने] का यत्न करें (पद.2) l 

बनने का समय

यह हमारे घर के भीतरी भाग को एक तरोताजा, नया रूप देने का समय था l लेकिन जैसे ही मैंने पेंटिंग के लिए एक कमरा तैयार करना आरम्भ किया, हमारे राज्य सरकार ने घोषणा की, कि कोविड-19 महामारी के कारण घर सुधार की कई वस्तुओं की बिक्री रोक लगा देगी l जैसे ही मैं यह घोषणा सुना, मैं शीघ्रता से दूकान जाकर आवश्यक सामग्री खरीद ले आया l आप उचित आपूर्ति के बगैर अपने घर को नया रूप नहीं दे सकते हैं l 

इफिसियों 4 लिखते समय पौलुस के मस्तिष्क में भी नया रूप देने की कुछ योजना थी l लेकिन बदलाव जिसकी बात वह कर रहा था सतही तबदीली से बहुत दूर थी l यद्यपि यीशु को उद्धारकर्ता ग्रहण करना हमें नई सृष्टि बना देता है, के बावजूद कुछ निरंतर चलने वाले काम हैं जो पवित्र आत्मा को करना अनिवार्य है l और “सत्य की धार्मिकता और पवित्रता” (इफिसियों 4:24) प्राप्त करने में उसे समय लगता है और उसे काम करना पड़ता है l 

पवित्र आत्मा की उपस्थिति अन्दर आवश्यक बदलाव करता है जो हमें हमारे शब्दों और कार्यों में यीशु को प्रतिबिंबित करने में मदद कर सकता है l वह झूठ के स्थान पर “सच” (पद.25) बोलने में हमारी मदद करता है l वह क्रोध से सम्बंधित पाप से बचने में मदद करता है (पद.26) l और वह ऐसे शब्द बोलने में अगुवाई करता है जो “उन्नति के लिए उत्तम हो, ताकि उससे सुननेवालों पर अनुग्रह हो” (पद.29) l आत्मा द्वारा नियंत्रित ये क्रियाएं आंतरिक बदलाव के हिस्से हैं जो कृपा, करुणा, और क्षमा जैसी चीजों में प्रगट होती हैं (पद.32) l आत्मा हमारे अन्दर काम करके हमें स्वयं यीशु का अनुकरण करने और हमारे स्वर्गिक पिता के हृदय को प्रतिबिंबित करने में योग्य बनाता है (पद.24; 5:1) l